आज के समय में जब नौकरियों की मारामारी है, एक व्यक्ति( सोहम पारेख) का एक साथ कई स्टार्टअप्स में नौकरी करना किसी चमत्कार से कम नहीं लगता। लेकिन जब उस “चमत्कार” के पीछे की परतें खुलती हैं और सामने आता है धोखा—तो वह खबर बन जाती है। ऐसी ही एक घटना ने इन दिनों सोशल मीडिया और स्टार्टअप वर्ल्ड में हलचल मचाई हुई है। नाम है सोहम पारेख।
एक ऐसा नाम जिसने कुछ समय पहले तक शायद ही किसी ने सुना होगा, लेकिन आज LinkedIn से लेकर Reddit तक, Twitter से लेकर Tech circles तक सब लोग इसी की चर्चा कर रहे हैं। आखिर ऐसा क्या किया सोहम ने, जो ये मामला पूरे देश में वायरल हो गया?
सोहम पारेख कौन है?
सोहम पारेख एक युवा टेक्नोलॉजी प्रोफेशनल हैं, जो अपने आप को एक मल्टीटास्कर, मल्टी-स्किल्ड व्यक्ति के तौर पर पेश करते रहे। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत सामान्य जॉब्स से की, लेकिन अचानक उनके नाम से जुड़ी कंपनियों की लिस्ट इतनी लंबी हो गई कि लोग हैरान रह गए।
खबरों के मुताबिक, Soham Parekh ने एक साथ 3 से 5 कंपनियों में फुल टाइम जॉब की, वो भी बिना किसी को बताए। इनमें से कई कंपनियां YC (Y Combinator) फंडेड स्टार्टअप्स थीं, जो अपनी सख्त रिक्रूटमेंट पॉलिसी और टैलेंट स्क्रीनिंग के लिए जानी जाती हैं।
एक साथ कई कंपनियों में नौकरी – कैसे हुआ ये मुमकिन?
सोहम पारेख ने कुछ ऐसे तरीके अपनाए जिससे वे एक ही समय में कई कंपनियों में एक्टिव दिखते रहे। उन्होंने हर कंपनी में खुद को फुल-टाइम इंप्लॉई के रूप में पेश किया, और रिमोट वर्क के बहाने एक ही समय में अलग-अलग टास्क को manage किया।
हालांकि, ये सब तभी तक चलता रहा जब तक किसी को शक नहीं हुआ। लेकिन जैसे ही उनके काम में consistency की कमी आई, और प्रोफाइल्स पर ओवरलैपिंग डेट्स दिखने लगीं—स्टार्टअप्स ने उन्हें ट्रैक करना शुरू किया।

Reddit और LinkedIn पर हुई पोल खोल
इस मामले की शुरुआत Reddit पर एक पोस्ट से हुई, जहां एक अनजान यूजर ने दावा किया कि सोहम पारेख कई कंपनियों को एक साथ धोखा दे रहे हैं। इसके बाद जैसे LinkedIn पर एक बाढ़ आ गई। कई स्टार्टअप्स ने खुलकर कहा कि उन्होंने सोहम को हायर किया था, लेकिन वह ठीक से काम नहीं कर रहे थे या फिर गायब हो जाते थे।
एक YC फंडेड स्टार्टअप ने यह तक कहा कि उन्होंने पारेख को उनके व्यवहार और संदिग्ध गतिविधियों के चलते तुरंत निकाल दिया।
कंपनियों ने दी चेतावनी – ‘सोहम पारेख से बचें!’
कुछ कंपनियों ने LinkedIn पर Public Service Announcement (PSA) जारी किया और बाकायदा चेतावनी दी कि “यदि कोई सोहम पारेख को हायर करने की सोच रहा है, तो कृपया सावधान रहें।”
इस चेतावनी का मकसद सिर्फ अपनी बात रखना नहीं था, बल्कि एक पूरे टेक इंडस्ट्री को सजग करना था कि अब मारोलाइटिंग (Multiple Full-Time Remote Jobs) को सामान्य नहीं माना जा सकता।
क्या यह सिर्फ धोखा था या सिस्टम की खामी?
बहस का एक और बड़ा हिस्सा यह भी है कि क्या सोहम पारेख पूरी तरह दोषी हैं, या हमारा वर्क-फ्रॉम-होम सिस्टम ही इतना कमजोर है कि कोई भी इसे हेरफेर कर सकता है।
वास्तव में, वर्क फ्रॉम होम कल्चर में मॉनिटरिंग की कमी और रिमोट ऑनबोर्डिंग के चलते यह घटना मुमकिन हो पाई। HR सिस्टम्स, Payroll डेटा और डेली वर्क ट्रैकिंग टूल्स में इतना लचीलापन है कि अगर कोई चालाक हो, तो सिस्टम को चकमा दे सकता है।
क्या कहते हैं साइबर एक्सपर्ट्स?
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह मामला सिर्फ एक इंसान का नहीं है, बल्कि यह एक बड़ी चेतावनी है इंडस्ट्री के लिए। अगर अब भी कंपनियों ने अपने हायरिंग सिस्टम को मजबूत नहीं किया, तो भविष्य में ऐसे मामले आम हो जाएंगे।
क्या इस पर कोई लीगल एक्शन लिया गया?
फिलहाल इस मामले को लेकर कोई FIR या कानूनी कार्यवाही पब्लिक डोमेन में सामने नहीं आई है। लेकिन कुछ कंपनियों ने बताया है कि वे लीगल ऑप्शन पर विचार कर रहे हैं।
हालांकि चूंकि ज्यादातर कंपनियों में NDA और कंफिडेंशियलिटी क्लॉज होते हैं, इसलिए ये देखना दिलचस्प होगा कि सोहम पर कोई केस बनता है या नहीं।
सोहम पारेख की तरफ से कोई जवाब नहीं
अब तक सोहम पारेख की ओर से इस पूरे मामले पर कोई ऑफिशियल स्टेटमेंट नहीं आया है। उनकी LinkedIn प्रोफाइल डिलीट या डीएक्टिवेट की जा चुकी है और सोशल मीडिया पर भी वह अब गायब हैं।
सोशल मीडिया पर दो राय
कुछ लोग इस घटना को एक “wake up call” मानते हैं, जबकि कुछ लोग इसे एक युवा की desperation के रूप में देख रहे हैं। कुछ का कहना है कि महंगाई, कम वेतन और जॉब सिक्योरिटी के चलते आज की युवा पीढ़ी ऐसे रिस्क लेने पर मजबूर हो रही है।
नैतिकता बनाम चतुराई – आप क्या सोचते हैं?
सोहम पारेख का मामला एक ऐसे मोड़ पर आ गया है जहां नैतिकता और चतुराई की सीमाएं धुंधली हो गई हैं। क्या एक व्यक्ति ने गलत किया, या उसने एक कमजोर सिस्टम का फायदा उठाया?
जहां एक ओर ये धोखा है, वहीं दूसरी तरफ यह सवाल भी उठता है कि क्या कंपनियां अपनी HR पॉलिसीज़ को लेकर लापरवाह हैं?
निष्कर्ष: सबक हर किसी के लिए
सोहम पारेख घोटाला एक व्यक्ति की करतूत से कहीं ज्यादा एक पूरी इंडस्ट्री के लिए सबक है। रिमोट वर्क कल्चर को सफल बनाने के लिए हमें सिर्फ टेक्नोलॉजी पर नहीं, बल्कि नैतिकता, पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर भी ध्यान देना होगा।
इस घटना ने दिखा दिया कि जॉब मार्केट में सिर्फ स्किल्स नहीं, ईमानदारी भी ज़रूरी है। और कंपनियों को भी चाहिए कि वो सिर्फ रिज़्यूमे देखकर नहीं, बल्कि गहराई से जांच करके भरोसा करें।